मां गंगा जी की आरती
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता,मनवांछित फल पाता ॥
चंद्र सी जोत तुम्हारी, जल निर्मल आता |
शरण पडें जो तेरी, सो नर तर जाता ॥
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता ।|
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।|
एक ही बार जो तेरी, शारणागति आता ।
यम की त्रास मिटा कर, परमगति पाता ॥
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
आरती मात तुम्हारी, जो जन नित्य गाता ।|
दास वही सहज में मुक्त हो पाता |
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।|