What is the difference between Thinking and Imagination ?
हम लोग थिंकिंग और इमेजिनेशन को ज्यादातर एक ही शब्द समझने की भूल करते है जबकि दोनों शब्द थिंकिंग और इमेजिनेशन एक दूसरे से बिल्कुल अलग है। जहां थिंकिंग एक मेन्टल प्रोसेस या मानसिक प्रक्रिया है वहीं इमेजिनेशन शब्द एक स्वैछिक प्रक्रिया मानी जाती है। थिंकिंग को कुछ लोग वातावरण से मिलने वाली सूचनाओं का मानसिक जोड़ -तोड़ बताते है तो कुछ लोग इसे समस्या और समाधान के बीच का माध्यम बताते है। थिंकिंग का उदेश्य समस्या का समाधान निकालना होता है। जैसे कोई भी समस्या एक ही बार के प्रयास से नहीं सुलझती है उसके लिए हमें दुबारा प्रयास करना पड़ता है लेकिन इमेजिनेशन में प्रयास और त्रुटि जैसे किसी शब्द की जरुरत नहीं पड़ती है।अब हम दोनों शब्दों को एक- एक करके समझते है
जो नीचे दिए गए है।
Thinking
Thinking (थिंकिंग) वह प्रोसेस है जिसमे हमारा दिमाग हर समय विचार उत्पन्न करता रहता है। थिंकिंग मानसिक रूप से चलने वाली प्रक्रिया है । थिंकिंग की प्रोसेस लक्ष्य निर्देशित होती है। जब हमारे सामने कोई समस्या आती है तो हम थिंकिंग करना प्रारंभ कर देते है। चिंतन (थिंकिंग) यथार्थवादी होती है और इसमें तर्क होता है साथ ही साथ थिंकिंग के समय हमारा पूरा ध्यान समस्या के समाधान की ओर केंद्रित रहता है। यह लगातार चलती रहती है। इसका सम्बन्ध कहीं न कहीं हमारे जीवन से ही जुड़ा होता है या कह सकते है कि चिंतन का सम्बन्ध वास्तविकता से होता है। हमारे दिमाग में हर पल कुछ न कुछ चलने की प्रोसेस ही चिंतन कहलाती है। चिंतन परीस्थितियों के द्वारा प्रस्तुत समस्याओं के भीतर मानसिक चित्र बनाना है। जैसे -यदि कोई आपसे किसी चीज के बारे में आपकी सलाह मांगे तो उसमे भी आपको थिंकिंग करनी पड़ती है उसके बाद आप अपना सुझाव देते है इसलिए कह सकते है कि थिंकिंग वर्तमानं संबंधी समस्याओ से जुडी होती है।
Imagination
Imagination ( इमेजिनेशन) (कल्पना )एक स्वैच्छिक विचार है जो एक प्रयास द्वारा बनाई गई है। इमेजिनेशन वह प्रोसेस है जिसमे हमारे सामने कोई निश्चित या अनिश्चित समस्या नहीं होती है। हमारा प्रयास किसी ख़ास समस्या या लक्ष्य की ओर केंद्रित नहीं होता है या कह सकते है कि यह लक्ष्य निर्देशित नहीं होता है। इमेजिनेशन में कोई तर्क नहीं होता है साथ ही इसका सम्बन्ध काल्पनिक वस्तुओं से होता है। जब हम अपनी सोच की मदद से अपने दिमाग में कुछ चित्र बना रहे होते है तो यही रचना इमेजिनेशन कहलाती है । यह सोच या कल्पना हमें उन भौतिक सीमाओं से परे चीजों को देखने और महसूस करने के लिए प्रेरित करती है जो वर्तमान समय में अस्तित्व में नहीं हैं। कल्पना एक शक्तिशाली दृष्टिकोण है यदि हम इसे सकारात्मक रूप से उपयोग में लाते है तो यह हमारे जीवन को और अधिक अद्भुत बना देता है। कल्पना की कोई सीमा नहीं होती है । यह आउट ऑफ बॉक्स हो सकता है या कह सकते है की कल्पना असीमित होती है। कल्पना दिमाग में छवियों और विचारों को बनाने की एक वैचारिक क्षमता है। हम अपने अतीत और भविष्य के बारे में कल्पना कर सकते हैं कि क्या हुआ था, और क्या होगा। जैसे रचनात्मक लोग, लेखक और दार्शनिक भी कल्पनाशील होते है।