श्री चिंतपूर्णी देवी की आरती
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,
जन को तारो ,भोली माँ |
काली दा पुत्र पवन दा घोड़ा ,
सिन्हा पर भई, असवार, भोली माँ ॥
एक हाथ खड़ग, दूजे में खांडा,
तीजे त्रिशूल सम्भालो ,भोली माँ |
चौथे हाथ चक्कर गदा पाँचवे,
छठे मुण्ड़ो की माला ,भोली माँ ||
सातवे से रुण्ड मुण्ड बिदारे,
आठवे से असुर संहारो, भोली माँ |
चम्पे का बाग़ लगा अति सुन्दर,
बैठी दीवान लगाये ,भोली माँ ||
हरी ब्रम्हा तेरे भवन विराजे,
लाल चंदोया बैठी तान, भोली माँ |
औखी घाटी विकटा पैंडा,
तले बहे दरिया ,भोली माँ ||
सुमन चरण ध्यानु जस गावे,
भक्तां दी पज निभाओ ,भोली माँ |
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,
जग को तारो भोली माँ ||